v परिचय:
सरदार वल्लभभाई पटेल एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी, राजनीतिज्ञ
और राजनेता थे जिन्होंने ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन से स्वतंत्रता के लिए भारत के संघर्ष
में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उनका जन्म 31 अक्टूबर, 1875 को भारतीय राज्य गुजरात
के एक छोटे से गाँव नडियाद में हुआ था। पटेल भारत के इतिहास में एक प्रमुख व्यक्ति
थे और देश की एकता और अखंडता के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता के लिए उन्हें अक्सर
"भारत का लौह पुरुष" कहा जाता है। यह जीवनी पटेल के जीवन के शुरुआती वर्षों
से लेकर भारत के स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान, भारत में रियासतों के एकीकरण
में उनकी भूमिका और आधुनिक भारत में उनकी विरासत का विस्तार से पता लगाएगी।
v प्रारंभिक जीवन:
सरदार वल्लभभाई पटेल का जन्म भारतीय राज्य गुजरात के एक
छोटे से गाँव नडियाद में झवेरभाई पटेल और लाडबाई के यहाँ हुआ था। पटेल का परिवार एक
विनम्र पृष्ठभूमि से था और उनके पिता एक किसान थे। पटेल के तीन भाई बहन, दो भाई और
एक बहन थी। पटेल एक होनहार छात्र थे और कम उम्र से ही उनमें काफी क्षमता दिखाई दी थी।
वह पढ़ने और लिखने में रुचि रखते थे और महात्मा गांधी और अन्य भारतीय राष्ट्रवादियों
के कार्यों से गहराई से प्रभावित थे।
v शिक्षा:
पटेल की औपचारिक शिक्षा उनके गाँव के एक स्थानीय स्कूल
में शुरू हुई, लेकिन जल्द ही वे अपनी शिक्षा जारी रखने के लिए पास के शहर पेटलाड के
एक स्कूल में चले गए। पटेल एक मेहनती छात्र थे और पढ़ाई में अव्वल थे। 1897 में, पटेल
ने मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण की और कानून की डिग्री हासिल करने के लिए चले गए। पटेल
ने इंग्लैंड में कानून की डिग्री पूरी की और 1913 में भारत लौट आए।
v कानून का अभ्यास:
कानून की शिक्षा पूरी करने के बाद, पटेल ने अहमदाबाद में
कानून का अभ्यास शुरू किया। उन्हें कानून में करियर बनाने में कोई दिलचस्पी नहीं थी
और वह भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेना चाहते थे। पटेल महात्मा गांधी के अहिंसा
के दर्शन से गहराई से प्रभावित थे और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के एक प्रमुख सदस्य
बने।
v स्वतंत्रता संग्राम:
पटेल एक प्रतिबद्ध राष्ट्रवादी और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
के कट्टर समर्थक थे। उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय रूप से भाग लिया और विभिन्न
आंदोलनों और अभियानों के आयोजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। पटेल ने 1930 के नमक सत्याग्रह
में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जो ब्रिटिश नमक कर के खिलाफ एक शांतिपूर्ण विरोध था।
स्वतंत्रता संग्राम के दौरान उन्हें कई बार गिरफ्तार किया गया और कैद किया गया।
1942 में, पटेल भारत छोड़ो आंदोलन के प्रमुख नेताओं में
से एक थे, जिसने ब्रिटिश शासन से भारत की तत्काल स्वतंत्रता का आह्वान किया था। आंदोलन
को अंग्रेजों द्वारा क्रूरता से दबा दिया गया था, और पटेल को गिरफ्तार कर लिया गया
और फिर से कैद कर लिया गया।
v भारतीय स्वतंत्रता में
योगदान:
1947 में भारत को ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता मिलने के
बाद, पटेल को भारत के पहले गृह मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया था। उन्हें देश
के बंटवारे से बनी स्थिति को संभालने की जिम्मेदारी दी गई थी। पटेल ने भारत में रियासतों
के एकीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
रियासतें भारतीय राजकुमारों द्वारा शासित स्वतंत्र राज्य
थे, जिन्हें भारत या पाकिस्तान में शामिल होने का विकल्प दिया गया था। पटेल ने राजकुमारों
को भारत में शामिल होने के लिए राजी करने के लिए अपने कूटनीतिक कौशल का इस्तेमाल किया
और उनके प्रयासों के परिणामस्वरूप 500 से अधिक रियासतों का सफल एकीकरण हुआ। स्वतंत्रता
के लिए भारत के संघर्ष में पटेल का योगदान और भारत में रियासतों के एकीकरण के लिए उनके
प्रयास भारतीयों की पीढ़ियों को प्रेरित करते रहे हैं।
v व्यक्तिगत जीवन:
सरदार पटेल का विवाह झवेरबा से हुआ था, जो उनकी शादी के
समय ही चल बसे। पटेल ने बाद में सावित्रीबाई नाम की एक अन्य महिला से शादी की, और इस
दंपति के दो बच्चे थे, दह्याभाई नाम का एक बेटा और मणिबेन नाम की एक बेटी। पटेल एक
समर्पित पति और पिता थे और उन्हें अपने परिवार से गहरा लगाव था।
v परंपरा:
सरदार पटेल अपने नेतृत्व, प्रशासनिक कौशल और भारत की स्वतंत्रता
के लिए प्रतिबद्धता के लिए जाने जाते थे। वह लोकतंत्र में भी बहुत विश्वास करते थे
और कानून के शासन के प्रति उनके मन में गहरा सम्मान था। वह एक धर्मनिरपेक्षतावादी थे
और मानते थे कि भारतीय समाज में सभी धर्मों का समान स्थान है।
सरदार पटेल किसानों के भी हिमायती थे और उन्होंने उनके
जीवन को बेहतर बनाने के लिए अथक परिश्रम किया। उनका मानना था कि भारत का आर्थिक विकास
इसकी प्रगति के लिए महत्वपूर्ण था और उन्होंने उद्योगों के विस्तार और कृषि के आधुनिकीकरण
की वकालत की।
v मौत:
15 दिसंबर 1950 को दिल का दौरा पड़ने से सरदार पटेल का
निधन हो गया। मृत्यु के समय वह केवल 75 वर्ष के थे। हालाँकि, उनकी विरासत जीवित है,
और उन्हें भारत के महानतम नेताओं में से एक के रूप में याद किया जाता है। अहमदाबाद
में सरदार वल्लभभाई पटेल राष्ट्रीय स्मारक राष्ट्र के लिए उनके योगदान का एक वसीयतनामा
है।
v निष्कर्ष:
भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में सरदार पटेल के योगदान और
भारत के एकीकरण में उनकी भूमिका को कम करके नहीं आंका जा सकता है। वह एक दूरदर्शी नेता
थे जिन्होंने अपने देश और इसके लोगों की बेहतरी के लिए अथक रूप से काम किया। उनकी विरासत
भारतीयों की पीढ़ियों को एक मजबूत और अधिक एकजुट भारत के निर्माण की दिशा में काम करने
के लिए प्रेरित करती रही है।
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